अभी कुछ दिनों पहले बिहार के बरौनी में एक रेलवे कर्मचारी की दो कोचों के बीच कपलिंग के दौरान दर्दनाक मौत हो गई थी। इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। घटना के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसको लेकर संसद में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी और यह घटना पूर्व मध्य रेलवे में कर्मचारियों के बीच कम्युनिकेशन की गड़बड़ी के कारण हुई थी। उन्होंने कहा कि यह घटना कपलिंग या अनकपलिंग से जुड़ी हुई नहीं थी।
इसको लेकर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन के सवाल पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 9 नवंबर को बिहार में हुई दर्दनाक घटना को लेकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि 1999 से 2000 के बीच भारतीय रेलवे द्वारा शुरू किए गए अधिक उन्नत एलएचबी कोचों में कपलिंग और डिकपलिंग मैनुअल हस्तक्षेप के बिना होती है। रेलवे में सुरक्षा अभियान नियमित रूप से किए जाते हैं, जिसके तहत कर्मचारियों को सतर्क और सावधान रहने का परामर्श दिया जाता है।
रेल मंत्री ने कहा कि एलएचबी कोचों की कपलिंग बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के होती है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर आईसीएफ कोचों को एलएचबी कोचों से बदलने का काम शुरू कर दिया गया है। 2004 से 2014 तक 2,337 ऐसे कोचों की तुलना में 2014 से 2024 तक 36,933 एलएचबी कोच बनाए गए हैं।
अमृत भारत और वंदे भारत ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले उन्नत अर्द्ध स्वचालित कपलर्स विकसित किए गए हैं। ये कपलर्स बिना किसी हस्तक्षेप के कोचों के बीच स्वचालित कपलिंग करते हैं। कपलिंग के दौरान किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना से बचने के लिए संबंधित फील्ड स्टाफ को नियमित अंतराल पर प्रशिक्षण दिया जाता है। हालांकि यह घटना काफी दुर्भाग्यपूर्ण थी और इसमें कम्युनिकेशन की कमी के कारण यह घटना घटित हुई थी।